खुलती हैं जब भी आसमां में ,
समंदर की खिड़कियाँ .
एकाकार हो एक दूजे से ,
करता हो ज्यों कोई मीठी बत्तियां .
क्षितिज का संगम न हो जैसे हो ,
दो बिछड़े हुए प्रेमोयों का मिलाप .
प्रकृति के इस गूढ़ रहस्य को भला ,
क्या समझ पाएंगे हम और आप.
प्रकृति से एकाकार होना हम जैसे साधारण ,
मनुष्यों के वश में कहाँ !
है यह हमारी आत्मा का द्वार ,
जीवन के रहते नहीं पहुँच सकते हम वहां .
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