हे चक्र सुदर्शन धारी हे माधव हे बनवारी
फिर से धरती पर आओ हे मधुर मुरलिया धारी !
सारा गोकुल व्याकुल है सब बाट जोहते तेरी
गलियां गलियां फिरती है पगली सी राधा प्यारी !!
यमुना स्तब्ध पडी है पनघट विरान पडा है
तुम खोए हो किस धुन में हे माखनचोर मुरारी !
गोपियां ग्वाल सुदामा मतिहीन दरश को तरशे
अब तो दर्शन दे दो तुम मृतप्राय सभी नर नारी !!
श्रवनन मे श्याम सलोना हे सुख सारन अधिकारी
आँखे पथराने आई आ जाओ कुंज बिहारी !
मीरा की पीरा समझो कृष्णा है तुम्हें बुलाती
एक टक है आश लगाए हम देखे राह तुम्हारी. !!
– मनोज उपाध्याय मतिहीन
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