✍मैं जब लिखूंगा…✍
मिरी कहानी मिरा किरदार लिखूंगा
मैं उजड़े हुए मकां को हवादार लिखूंगा
मिरा नसीब हाथों ने छुपा रखा है कहीं
जब लिखूंगा इसे चमकदार लिखूंगा
वक़्त फिसलता है मिरी मुट्ठी से रेत बनकर
पकड़ में आया तो सदाबहार लिखूंगा
जहां भी जाओ वहां किस्से हैं बेगुनाहों के
मैं जब गुजरूँगा, खुद को गुनहगार लिखूंगा
शाम! हर शाम की तरह तू भी गुजर
हर सुबह की तरह तुझे वफ़ादार लिखूंगा
तोड़ दी सफें वफ़ाओं की तूने भी ऐ दोस्त!
इस कहानी में तुझे सबसे समझदार लिखूंगा
✍ दिलीप…