क्या मनोहर दृश्य
क्या सुन्दर जीवन
जीवन मे घुली प्यास और मेरा यौवन
उसमे एक तंत्र जलपोत और ये मन
प्रवाहन ही प्रवाहन तल नही बस जल
न तल न कल एक सहारा मेरा अन्तर्मन
मै मेरा मन और मेरा तन
एक परिपक्य सत्य
क्या मनोहर दृश्य
क्या सुन्दर जीवन
मै अकेला हू और साथ मे एक दूकूल
जो लिपटा है बनकर प्रणय मुकुल
जिसमे अदृश्य रस और एक सुकुन
न दिखता न परखता भरोस स्वयं का
वो और मै और मेर दर्पन
एक अथक कथ्य
क्या मनोहर दृश्य
क्या सुन्दर जीवन