बेवजह, बेफजूल और बेकार नहीं है।
वो शख्स जिससे मेरा सरोकार नहीं है।।
दुनियाँ में अंधेरों को कैसे दूर करोगे।
जब चाँद सितारों पर ऐतबार नहीं है।।
मुझपर उसी गुनाह का इल्जाम धर दिया।
होने का जिसका कोई भी आधार नहीं है।।
उड़ता है आसमान में उड़ने दिया करो।
गिरता नहीं है वो तो निराधार नहीं है।।
ईमान घट गया है अविश्वास बढ़ गया।
लगता है जैसे लोगों में ब्यवहार नहीं है।।
कागज के फूल क्या है बनाने से फायदा।
खुशबू के बिना गुलशनो- गुलजार नहीं है।।
**जयराम राय **
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