दूध के धुले लोग कुछ हमसे अलग होते हैं,
हाँ ! उनमें सुर -ख्वाब के पर लगे होते हैं .
रहते हैं आसमां में ,ज़मीं पे कहाँ रहते हैं ,
तकदीर के यह चमकते सितारे होते हैं.
जिनको देखकर आँखें भी चोघियाँ जाये ,
मत छूना इन्हें ,यह जला भी देते हैं.
सर से पांव तक दूध के धुले हैं जनाब !,
पाकीजगी/सत्यता का प्रमाण लिए फिरते हैं.
अज़ीम रूहें हैं , फ़रिश्ते हैं यह धरती के ,
तभी तो खुदा भी इनपर मेहरबां रहते हैं.
कोई बदी इनके पास फटके भी कैसे ? ,
अपनी फितरत को काबू करना जानते हैं .
सूना था ताड़ने वाले कयामत की नज़र रखते हैं,
पर ये छुपे रुस्तम भला ताड़े जा सकते हैं |
मत कर ”अनु” कोशिश इनके तह पर जाने की ,
उलझ कर रह जाएगी ,यह कई परतों से ढके होते हैं.
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