हाथों में मशाल लिये , खडे हुये नगर में ।
सत्य , अहिंसा मार्गो पर , वीर.पुत्र डटे हुये ।१।
सच्चे वीर डटे हुये , मातृ.भू कि सेवा में ।
धन्य होती माताये , वीरों कि यादों में ।२।
देखि तू न अनदेखा कर , इकदिन कुराह होय ।
जाओगे नरक वन्दे , ऐसा वह कुदिन आयेगा ।३।
दास कि तलवार से , अखबार कि धार से ।
नैतिकता के वार से , कुशासकों का अन्त होगा ।४।
वाणी जीवनदायिनी , वाणी नाशकहार ।
ऐसी वाणी बोलियो , सबके लागन प्राण ।५।
—
उमेश दास
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