हर घर दीवाली
मिट्टी के दीपक में तेल में भीगी रुई की बाती से प्रकाश की एक लौ जले प्रेम के स्पर्श की परछाई जो उसपे पड़े तो उसका रोम रोम कुछ और जले फूल के…
मिट्टी के दीपक में तेल में भीगी रुई की बाती से प्रकाश की एक लौ जले प्रेम के स्पर्श की परछाई जो उसपे पड़े तो उसका रोम रोम कुछ और जले फूल के…
तू जगमगाये तेरा दीप जगमगाये || सारे जहाँ की खुशियाँ तेरे भी घर को आये || गंगा और यमुना सा निर्मल हो तेरा मन || अम्बर और धरा सा स्वच्छ हो तेरा तन…
सबसे वफादार तू यारों में मेरा यार तू जीने की मेरी आस तू प्यार से सराबोर एक संसार तू न एक पैसा देना न एक पैसा लेना न कोई इश्तिहार, न कोई कारोबार…
हे भगवन धन्यवाद जो मुझे एक भाई दिया नूर बिखेरता फरिश्ता दिया खेलने को खिलौना दिया सपने का उड़न खटोला दिया खुशियों का बिछौना दिया आशाओं का पलना दिया किलकारी मारता शोर मचाता…
थाल सजा के चलो पूजने ॥ पूजन आज दिवाली ॥ ख़ुशी बयरिया बाग़ में झूमे ॥ मंगल गाये हरियाली ॥ आज अमावश्य शुभ बोलेगा ॥ घर में लक्ष्मी आयेगी ॥ हाथ में लेके…
हां हिंदी बोलती हूं मैं, हां हिंदी सीखती हूं मैं, मेरे रग-रग में शामिल है,हां हिंदी जानती हूं मैं। मेरी पहचान हिंदी है, मेरी अरमान हिंदी है, मुझे प्यारी मेरी हिंदी, हां हिंदी…
वक्त सिहर गया जिन्दगी का सफर एक पड़ाव पे जो ठहर गया न कोई गिले शिकवे न रोना मुस्कुराना आदमी चला गया जो इस संसार में पीछे छूटा वो सब सहम गया अपनों…
बीज से दरख्त बन गई हमारी दोस्ती जमीं पे सूरज तो कभी चाँद बन चमक गई हमारी दोस्ती गले में जो पड़े बाहों के हार तन की राह मन से मिलने चली हमारी…
आज मैं खुश हूं बहुत खुश हूं दर्पण भी सहमत बहुत खुश हूं रोई नहीं पिछली कई रातों से सोई नहीं ख्वाबों की बरसातों में लबों पे मुस्कान की कली खिली है धूप…
एक मरघट हैं मेरे अंदर, जहां चिता जलती रहती हैं, मेरे कुछ स्वपनों की, कुछ स्मृतियों की, कुछ विशेष रिश्तों को बांधे रखनें वाली उन कच्ची डोरियों की, और यह निरंतर जलती रहती…
रात ढलती रही , शम्मा जलती रही तुम गुनगुनाते रहे , हम मुस्कुराते रहे चाँद ने पहरा, हम पर बराबर दिया जुगनुओं ने आँचल को, रोशन किया घड़ी वक्त की , टिकटिकाती रही…
खूने जिगर से लिखा है दिल की चौखट पे तेरा नाम वक्त के पैबंदों को सिला है जिस्म के नीले जख्मों से जां गवां के दिलोजान से गुले गुलफाम जोड़ है, तोड़ है…
कागा नित दरवाजे पर मेरे॥ काव कांव जब करता है॥ आते होगे साजन मेरे॥ मन उमंगें भरता है || सज धज कर मै राह निहारू || हो जाती है शाम || काम काज…
हम भारत के सरल किसान है॥ हम सीधे साधे इंसान है॥ हम पढ़े लिखे भी गत के है॥ हम अत्याचारी को पटके है॥ हम मेहनत के प्रेम पुजारी है॥ हम खेती के रम्हे…
गली गली चौराहे पर॥ हमको चिपकाया लोगो ने॥ घर घर के दीवारों पर ॥ हमको लटकाया लोगो ने॥ जूते चप्पल की नदी बही थी॥ हमको जलाया लोगो ने॥ जै जै कार के…