तुम्हारा पहला प्रेम पत्र
"तुम्हारा पहला प्रेमपत्र" आज अलमारी की दराज में तुम्हारा प्रेम पत्र मिला जिसें मैंने अपनी सबसे अनमोल धरोहर की तरह सहेज कर रखा था। पता है उसमें आज भी तुम्हारी लिपिस्टिक लगाकर चूमी…
"तुम्हारा पहला प्रेमपत्र" आज अलमारी की दराज में तुम्हारा प्रेम पत्र मिला जिसें मैंने अपनी सबसे अनमोल धरोहर की तरह सहेज कर रखा था। पता है उसमें आज भी तुम्हारी लिपिस्टिक लगाकर चूमी…
सरपट भागती ट्रैन के साथ और हर बदलते नजारे के साथ बदल जाते है उसके चेहरे की भावनाएं,उसकी वो हँसी, वो नजाकत भरी नजरें पल पल बदलते नजारे के साथ बदलती उसकी हर…
जब यादगार बन जाए अनचाही यात्राएं ....!! तारकेश कुमार ओझा जीवन के खेल वाकई निराले होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि ना - ना करते आप वहां पहुंच जाते हैं जहां…
आज मैंने अपनी मां को बोला मां मैं घर आ रहा हूं ,मेरी मां इन दो शब्दों को सुनने के लिए न जाने कितने समय से इंतजार व मेरे घर आने के लिए…
भूख - प्यास की क्लास ....!! तारकेश कुमार ओझा क्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन - हीन ऐसा किशोर कॉलेज परिसर में दाखिल हो…
भूख - प्यास की क्लास ....!! तारकेश कुमार ओझा क्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन - हीन ऐसा किशोर कॉलेज परिसर में दाखिल हो…
सर्वप्रथम हमें घर के बाहर , गोरियां (घिनोर) , सीटोअ , घुघुत , निरचि काअ , जैसे अनगिनत रंग , बिरंगे पंछी देखने को मील जाते थे ।
गांव की बारात का यह शब्द जब भी हमारे कानों में गूंज पड़ता है मानो तब-तब गांव में होने वाली शादियों कि एक स्मृति हमारे यादों में या यह कहें इन गांव में…
नारी के बिना पहाड़ अधूरा - या यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि पहाड़ का अस्तित्व ही नारी के कारण टिका हुआ है यदि पहाड़ों से कुछ हद तक पलायन रुका है…
हर रात जैसे तैसे करवटें ले लेकर गुजरती। हर रात सुबह का इंतजार, हर सुबह जेठ की भरी दुपहरी का इंतजार, हर दोपहर शाम होने का इंतजार, हर शाम रात होने का इंतजार…
अब तो गांव-गांव मैं बिजली हूआ करती है यदि कभी बिजली चली भी जाती है तो हम लोग अपनों घरों को उजाला करने के लिए मोमबत्ती या चार्जेबल बैटरी का उपयोग करते हैं…
कई तरह की सही - गलत धारणाएं हो सकती है। जिनमें एक धारणा यह भी है कि देर रात या मुंह अंधेरे महानगर से उपनगरों के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनें अमूमन खाली ही दौड़ती होंगी।
दुनियाँ की किसी भी माँ का सम्पूर्ण जीवन तो अपने परिवार, पति और बच्चों के लिये ही समर्पित रहता है। माँ अगर त्याग न करे तो उसके बच्चे का जीवन संवर ही नहीं…
स्टैंड से साइकिल निकाली तो पता लगा कि 12 घंटे से अधिक खड़ी रहने की वजह से मुझे एक रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा।
अब न माँ न माँ से जुड़े रिश्तें.... कोई मिलते भी है तो अजनबी की तरह। अब दिल मे कोई ख्वाहिश भी नही रही, माँ बहुत कुछ अपने साथ ले गयी....बहुत कुछ नही सबकुछ।