“तरबतर”
लबालब भरे ये श्याम घन चले आये हैं डग बढ़ाये धरा लहलहाती , खिलखिलाती है उनके आतिथ्य में [...]
सहेली मिलन
यह कविता कल्पना से बनी हुई है वास्तविक नहीं है हमसे कहा गया कविता अधूरी है पूरी करें [...]
हम जंगल में बहक गये !
चहका -होली गीत हम जंगल में बहक गये ! निमिष-निमिष साँसें सम्मोहित हम जंगल में बहक गये। लेकर [...]
मैया और मौसी
गैया हमरी मैया है और बिलइया हमरी मौसी इन दोनों को बदनाम करे, पड़ोसन मुँहझौंसी मैया जैसी गैया [...]
द्वंद
अपने अंतर्मन के द्वंदों से झूझ रही हूँ मैं। आज स्वयं से एक प्रश्न पूछ रही हूँ मैं।। [...]
हमसाया
तू कर ले कोशिश जो दूर जाने की पास आने की राह ढूंढ जाऊँगी तू अगर धागों को [...]
लटकती जीन्स
लटकती जीन्स एक छ: फुट के लड़के की लटकती जीन्स ने मुझ से कहा , ये मुझे पहने [...]
संजना और सुंदरता
यह एक सच घटना है जिसे हमने कहानी का रूप दिया है जो काल्पनिक है।। कालेज के समय [...]
मुझे बचाएगा कौन ?
मुझे बचाएगा कौन ? वो मुझसे रूठे हुए हैं, मैं जिन्दगी से रूठा हुआ हूँ। मैं उसे मना [...]