डिजिटल भी और सिंगल भी
पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे।…
पबजी गेम में उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधे घंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे।…
जो हरा भरा था चमन कभी खिजा में शायद उजड़ गया ये नसीबों की है दास्तां क्या संवर गया क्या बिगड़ गया!
गांव बूढ़ा हो चला है गांव और उसकी मिटटी बहुत प्यारी होती है अधिकांश अन्न वहीं पैदा होता है हमारे लिए हमारे लिए वो गांव और वंहा का किसान पिछड़ा है जो दिन…
आजकल के गाँव पहले जैसे नहीं रहे हैं। उनमें भी शहरीकरण जैसा परिवर्तन हो रहा है। भारत के ज़्यादातर गाँवों में बिजली,पानी,इंटरनेट आदि सभी सुविधाएँ पहुँच गई हैं क्योंकि शिक्षा का स्तर निरंतर…
# ग़ज़ल# वज़्न 212-212-212-212 आज फिर याद आई मुझे गाँव की। प्यार के मेल की खेल के ठाँव की।। यार मिलते गले चार पीपल तले। मौज मस्ती हँसी छोड़ते दाँव की।। दूर थे…
मेरा गांव तेरे शहर से अच्छा है। इस्लाम चाचा हों, या भूरी काकी, जानता मुझको बच्चा बच्चा है। घर भले ही गारे मिट्टी के कच्चे हों, लेकिन दिल उनका सच्चा है।
संस्मरण यादों के पटल से 'मेरी दादी' आज की विधा है संस्मरण यह जानकर मेरे मानसपटल पर सर्वप्रथम जो पहली और प्रभावशाली छवि अंकित हुई वो मेरी दादी जी की है। मैं अपनी…
मैं बियाबान में भी लेकर चलता हूँ अपना परिवार गाँव अपना शहर और देश के साथ ही दुनिया अपनी आदमी होने के नाते। और तुम भीड़ में भी अपने में सिमटकर तोड़ते हो…
पीपल, बरगद के छाँव में था बड़ा मज़ा मेरे गाँव में | कहाँ से कहाँ ये गया जमाना नहीं दिखता अब चीज़ पूराना अब धुल न लगती पाँव में था बड़ा मज़ा मेरे…
काग़ज की कश्ती तैराने का मन करता है आज फिर बरसात में नहाने का मन करता है क्यूँ लगने लगा गंदा राह का पानी मुझको, वो बचपना फिर से जगाने का मन करता…
चन्द्र मोहन किस्कु दुःख होता है *********** यह धरती यह सुन्दर धरती दो भागों में बांटा हुआ है। तुम जिस भाग में रहते हो जो तंग और अंध गली में रहते हो इस…
आज सालों बाद पैतृक गाँव आना हो पाया,विदेश में जन्मे बढे बच्चों को अपनी जमीन से जो मिलाना था।लंबरदार की हवेली पर नजर पडते ही पल भर में अपना सारा बचपन चित्रपट की…
राजा रानी ओर परियो की बिखरे मोती ओर लडियो की कहती थीं जो एक कहानी मेरी दादी नानी वो मेरे मन मस्तिष्क पर छाती है बहुत याद आती है,बहुत याद आती है ........…