कैसी है ये पूजा श्रद्धा
विनय पहली बार अपनी मम्मी के साथ मन्दिर जारहा था। रास्ते-भर माँ ने उसे अनेक उपदेश दिए कि हमें हमेशा गरीबों की सेवा करनी चाहिए, जो दूसरों की सहायता करते हैं भगवान उसे…
विनय पहली बार अपनी मम्मी के साथ मन्दिर जारहा था। रास्ते-भर माँ ने उसे अनेक उपदेश दिए कि हमें हमेशा गरीबों की सेवा करनी चाहिए, जो दूसरों की सहायता करते हैं भगवान उसे…
उधार ली हुई ईंटों से मैं कैसा महल बनाऊंगा, मुस्कानों का कर्जा लेकर मैं कैसे मुस्कराऊंगा। कैसे होंगे गीत ग़ज़ल और कैसी होंगी कविताएं, मांगे छीने कागज़ पर मैं कैसे कलम चलाऊंगा।…
जो रीत चली सालो से वह पत्थर की लकीर है हम तो पालान करने वाले छोटे से एक फकीर है। सदियो कि इस परम्परा पर हमको गर्व है। ऐ नादान परिंदे.....यह फक्र नही…
एक बार भोलू पहलवान समुद्र मंथन से निकले धन्वन्तरि को अपने घर ले आया हालंकि जो कलश धन्वन्तरि लिए हुए थे वो देवताओं में पहले बँट चुका था , पर उसे संतोष था…
दूसरी कहानी
यमुना के किनारे धर्मस्थान नामक एक नगर था। उस नगर में गणाधिप नाम का राजा राज करता था। उसी में केशव नाम का एक ब्राह्मण भी रहता था। ब्राह्मण यमुना के तट पर जप-तप किया करता था। उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम मालती था। वह बड़ी रूपवती थी। जब वह ब्याह के योग्य हुई तो उसके माता, पिता और भाई को चिन्ता हुई। संयोग से एक दिन जब ब्राह्मण अपने किसी यजमान की बारात में गया था और भाई पढ़ने गया था, तभी उनके घर में एक ब्राह्मण का लड़का आया। लड़की की माँ ने उसके रूप और गुणों को देखकर उससे कहा कि मैं तुमसे अपनी लडकी का ब्याह करूँगी। होनहार की बात कि उधर ब्राह्मण पिता को भी एक दूसरा लड़का मिल गया और उसने उस लड़के को भी यही वचन दे दिया। उधर ब्राह्मण का लड़का जहाँ पढ़ने गया था, वहाँ वह एक लड़के से यही वादा कर आया। (more…)