अनदेखे घाव
अनदेखे घाव ये कैसा पत्थर है जो सब सह जाता है हाँ ! ये दिल ही है जो [...]
अनदेखे घाव ये कैसा पत्थर है जो सब सह जाता है हाँ ! ये दिल ही है जो [...]
खा-खा कर ठोकरे हम, पत्थर तक बन जाएंगे । तुम चाहो या न चाहो, फिर भी तुमको चाहेंगे ।। [...]
क्या नाम कि... प्रात:काल स्नान-पूजा से निपट, तिलक लगा, पीताम्बर पहन, खड़ाऊँ पाँव में डाल, बगल में पत्रा दबा, [...]